वस्तु एवं सेवा कर का भारतीय समाज पर प्रभाव: एक विश्लेषण

 

डाॅ. धर्मेन्द्र कुमार वर्मा

अतिथि विद्वान (समाजशास्त्र) शास. महाविद्यालय उमरियापान, कटनी (.प्र.)

 

भारत के कर ढ़ाँचे में सुधार का एक बहुत बड़ा कदम हैं ळैज् अर्थात ळववके ंदक ेमतअपबम ज्ंग ;वस्तु एवं सेवाकरद्ध। ळैज् लागू होने से पूरा देश एकीकृत बाजार में तब्दील हो गया है। इस नवीन कर प्रणाली मंे सभी प्रकार के करो को समहित किया गया हैं। जैसें.उत्पाद शुल्कए सेवाकरए मनोरंजन करए ट।ज् आदि। अब पूरे भारत में सिर्फ एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लागू होगा। यह नवीन कर प्रणाली बहुप्रचारित एवं बहु प्रतिक्षित वस्तु एवं सेवा कर कानून 1 जुलाई 2017 से लागू हो गया है इसका सीधा सम्बन्ध अब तक लगने वाले दूसरे तरह के कर जैसे सीमा शुल्कए उत्पाद शुल्कए सेवा करए प्रवेश शुल्कए मनोरंजन करए वैट सब इसी में शामिल हो गये हैं। आजादी के बाद इसे देश का सबसे बड़ा कर सुधार कहा जा सकता हैए हांलाकि व्यापक रूप से इसका क्या लाभ होगा यह तय कर पाना मुश्किल है। वस्तु एवं सेवा कर को लेकर व्यापारी एवं आम उपभोक्ता में असंतोष की स्थिति व्याप्त है। एक देश एक ही कर लागू हो रहा हैए 3 अगस्त 2016 को देश भर में वस्तु एवं सेवा कर पारित किया गया हैए वस्तु और सेवा कर जिसे सरकार ने इसे 1 जुलाई 2017 से लागू करने का निर्णय लिया है। देश के कर ढांचे के आजादी के बाद यह सबसे बड़ा बदलाव है जिससे आम आदमी को फायदा होगा या बिल राज्य सभा द्वारा पारित किया गया जिसे लोकसभा द्वारा मई 2015 में पारित किया जा चुका है। वस्तु एवं सेवा कर के अन्तर्गत जून 2016 में नेशनल वैल्यू ऐडेड टैक्स लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया है।

 

वस्तु एवं सेवा करए आगत कर प्रणालीए अप्रत्यक्ष कर।

 

 

 

 

गुड्स एंड सर्विसिज़ टैक्स या वस्तु एवं सेवा कर भारत में 1 जुलाई 2017 से लागू एक महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जिसे सरकार व कई अर्थशास्त्रियों द्वारा इसे स्वतंत्रता के पश्चात् सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है। (1) (2) इससे केन्द्र एवम् विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भिन्न भिन्न दरों पर लगाए जा रहे विभिन्न करों को हटाकर पूरे देश के लिए एक ही अप्रत्यक्ष कर प्रणाली लागू की जाएगी जिससे भारत को एकीकृत साझा बाजार बनाने में मदद मिलेगी। भारतीय संविधान में इस कर व्यवस्था को लागू करने के लिए संशोधन किया गया है।

 

1 जुलाई 2017 से पूर्व किसी भी सामान पर केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा कई तरह के अलग-अलग कर लगाती हैं लेकिन जीएसटी आने से सभी तरह के सामानों पर एक जैसा ही कर लगाया जाएगा पूर्व में किसी भी सामान पर 30 से 35ः तक कर देना पड़ता था कुछ चीजों पर तो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से लगाया जाने वाला कर 50ः से ज्यादा होता था जीएसटी आने के बाद यह कर अधिकतम 28 प्रतिशत हो जाएगा जिसमें कोई भी अप्रत्यक्ष कर नहीं होगा जीएसटी भारत की अर्थव्यवस्था को एक देश एक कर वाली अर्थव्यवस्था बना देगा। फिलहाल भारतवासी 17 अलग-अलग तरह के कर चुकाते हैं जबकि जीएसटी लागू होने के बाद केवल एक ही तरह का कर दिया जाएगा इसके लागु होते ही एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, वैट, मनोरंजन कर, लग्जरी कर जैसे बहुत सारे कर खत्म हो जाएंगे।

जीएसटी लागू होने के बाद किसी भी सामान और सेवा पर कर वहां लगेगा जहां वह बिकेगा। जीएसटी अलग-अलग स्तर पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी, एडिशनल एक्साइज ड्यूटी,सेंट्रल सेल्स टैक्स, वैट, लक्ज़री टैक्स, सर्विस कर, इत्यादि की जगह अब केवल जीएसटी लगेगा। जीएसटी परिषद ने 66 तरह के प्रोडक्ट्स पर टैक्स की दरें घटाई हैं(5) द्य भारत में संचालित जीएसटी टैक्स दर के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सहित केवल 5 देशों में चार गैर स्तरीय स्लैब है।)

 

जीएसटी एक मूल्य वर्धित कर है जो कि विनिर्माता से लेकर उपभोक्ता तक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एक एकल कर है। प्रत्येक चरण पर भुगतान किये गये इनपुट करों का लाभ मूल्य संवर्धन के बाद के चरण में उपलब्ध होगा जो प्रत्येक चरण में मूल्य संवर्धन पर जीएसटी को आवश्यक रूप से एक कर बना देता है। अंतिम उपभोक्ताओं को इस प्रकार आपूर्ति श्रृंखला में अंतिम डीलर द्वारा लगाया गया जीएसटी ही वहन करना होगा। इससे पिछले चरणों के सभी मुनाफे समाप्त हो जायेंगे।

 

चुंगी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), राज्य स्तर के सेल्स टैक्स या वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैंप ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फी, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री पर लगने वाले टैक्स, सामान के ट्रांसपोटेर्शन पर लगने वाले टैक्स इत्यादि अनेकों करों के स्थान पर अब यह एक ही कर लागू किया जा रहा है।

 

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार इस व्यवस्था से निम्न लाभ संभावित हैंः

 

व्यापार और उद्योग के लिए

आसान अनुपालन, पारदर्शिताः

एक मजबूत और व्यापक सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली भारत में जीएसटी व्यवस्था की नींव होगी इसलिए पंजीकरण, रिटर्न, भुगतान आदि जैसी सभी कर भुगतान सेवाएं करदाताओं को ऑनलाइन उपलब्ध होंगी, जिससे इसका अनुपालन बहुत सरल और पारदर्शी हो जायेगा।

 

कर दरों और संरचनाओं की एकरूपताः

जीएसटी यह सुनिश्चित करेगा कि अप्रत्यक्ष कर दरें और ढांचे पूरे देश में एकसमान हैं। इससे निशिं्चतता में तो बढ़ोतरी होगी ही व्यापार करना भी आसान हो जाएगा। दूसरे शब्दों में जीएसटी देश में व्यापार के कामकाज को कर तटस्थ बना देगा फिर चाहे व्यापार करने की जगह का चुनाव कहीं भी जाये।

 

करों पर कराधान (कैसकेडिंग) की समाप्ति-

मूल्य श्रृंखला और समस्त राज्यों की सीमाओं से बाहर टैक्स क्रेडिट की सुचारू प्रणाली से यह सुनिश्चित होगा कि करों पर कम से कम कराधान हों। इससे व्यापार करने में आने वाली छुपी हुई लागत कम होगी।

 

प्रतिस्पर्धा में सुधार-

व्यापार करने में लेन-देन लागत घटने से व्यापार और उद्योग के लिए प्रतिस्पर्धा में सुधार को बढ़ावा मिलेगा।

 

विनिर्माताओं और निर्यातकों को लाभ -

जीएसटी में केन्द्र और राज्यों के करों के शामिल होने और इनपुट वस्तुएं और सेवाएं पूर्ण और व्यापक रूप से समाहित होने और केन्द्रीय बिक्री कर चरणबद्ध रूप से बाहर हो जाने से स्थानीय रूप से निर्मित वस्तुओं और सेवाओं की लागत कम हो जाएगी। इससे भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में होने वाली प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी होगी और भारतीय निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। पूरे देश में कर दरों और प्रक्रियाओं की एकरूपता से अनुपालन लागत घटाने में लंबा रास्ता तय करना होगा।

 

केन्द्र और राज्य सरकारों के लिए

सरल और आसान प्रशासन -

केन्द्र और राज्य स्तर पर बहुआयामी अप्रत्यक्ष करों को जीएसटी लागू करके हटाया जा रहा है। मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली पर आधारित जीएसटी केन्द्र और राज्यों द्वारा अभी तक लगाए गए सभी अन्य प्रत्यक्ष करों की तुलना में प्रशासनिक नजरिए से बहुत सरल और आसान होगा।

 

कदाचार पर बेहतर नियंत्रण -  

मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे के कारण जीएसटी से बेहतर कर अनुपालन परिणाम प्राप्त होंगे। मूल्य संवर्धन की श्रृंखला में एक चरण से दूसरे चरण में इनपुट कर क्रेडिट कर सुगम हस्तांतरण जीएसटी के स्वरूप में एक अंतःनिर्मित तंत्र है, जिससे व्यापारियों को कर अनुपालन में प्रोत्साहन दिया जाएगा।

 

अधिक राजस्व निपुणता -

जीएसटी से सरकार के कर राजस्व की वसूली लागत में कमी आने की उम्मीद है। इसलिए इससे उच्च राजस्व निपुणता को बढ़ावा मिलेगा।

 

उपभोक्ताओं के लिए:-

वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य के अनुपाती एकल एवं पारदर्शी कर -

केन्द्र और राज्यों द्वारा लगाए गए बहुल अप्रत्यक्ष करों या मूल्य संवर्धन के प्रगामी चरणों में उपलब्ध गैर-इनपुट कर क्रेडिट के कारण आज देश में अनेक छिपे करों से अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की लागत पर प्रभाव पड़ता है। जीएसटी के अधीन विनिर्माता से लेकर उपभोक्ताओं तक केवल एक ही कर लगेगा, जिससे अंतिम उपभोक्ता पर लगने वाले करों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।

 

समग्र कर भार में राहत -

निपुणता बढ़ने और कदाचार पर रोक लगने के कारण अधिकांश उपभोक्ता वस्तुओं पर समग्र कर भार कम होगा, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा।

 

जीएसटी काउंसिल ने चार तरह के कर निर्धारित किये हैं ये 5, 12, 18 एवं 28 प्रतिशत हालांकि बहुत सी चीजों को जीएसटी से छूट दी गई है उन वस्तुओं पर कोई भी कर नहीं लगेगा या जीएसटी नहीं लगेगा जबकि लग्जरी एवं महंगे सामान पर जीएसटी के अलावा सेस भी लगेगा। सरकार के अनुसार इसमें से 81 प्रतिशत चीजें जीएसटी की 18 प्रतिशत की श्रेणी तक आएंगी ।

 

आदर्श स्थिति में इस व्यवस्था में समस्त कर एक ही दर पर लगाए जाने चाहिएँ, किन्तु भारत में राज्य व केन्द्र तथा एक ही वस्तु या सेवा पर भिन्न-भिन्न राज्यों में भिन्न दरें आदि होने से प्रारम्भ में 4 दरें निर्धारित की गईं ताकि वर्तमान राजस्व में अधिक अंतर न पड़े। ये चार दरें 5ः, 12ः, 18ः तथा 28ः हैं। आवश्यक वस्तुओं जैसे कि दूध, लस्सी, दही, शहद, फल एवं सब्जियां, आटा, बेसन, ताजा मीट, मछली, चिकन, अंडा, ब्रेड, प्रसाद, नमक, बिंदी, सिंदूर, स्टांप, न्यायिक दस्तावेज, छपी पुस्तकें, समाचार पत्र, चूड़ियाँ और हैंडलूम आदि वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगेगा। 20 लाख से कम की वार्षिक बिक्री वाले व्यापारियों को इस कर व्यवस्था से छूट दी गई है।

 

वस्तु एवं सेवा कर एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है जो व्यापक रूप से देश के निर्माता व्यापारी और वस्तुओं एवं सेवाओं के उपभोक्ता पर लगाया गया है। यह टैक्स अन्य टैक्स को हटा कर वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीदी एवं विक्री के प्रत्येक स्तर पर लगने वाले इस कर में ‘‘आगत कर प्रणाली’’ शामिल होगा इस प्रणाली के अन्तर्गत वस्तु एवं सेवा कर वस्तुत के अधीन पंजीकृत व्यावसायों को ‘‘टैक्स क्रेडिट क्लेम करने की सुविधा’’ मिलेगी। वस्तु एवं सेवा कर भारत में अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में बदलाव का एक बहुत बड़ा कदम है, भारत में वस्तु एवं सेवा कर के लागू होने पर यह कुछ समय के लिए शून्य दर के साथ अथवा बहुत कम दर के साथ लगाया गया है। वस्तु एवं सेवा कर सम्बन्धी बिल है, जो देशवासियों पर लगाया गया है। सरल शब्दांे में कहा जाये तो अब लगभग समस्त वस्तुओं एवं सेवाओं पर एक नया कर लगेगा और वह होगा वस्तु एवं सेवा कर साथ ही पहले जो भी कर लगते थे वे अब नहीं लगेगें।

 

वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली की अध्यक्ष में जी.एस.टी. परिषद की पहली बैठक हुई थी जिसमें कई निर्णय लिए गए छूट सीमा 20 लाख तक कारोवार केन्द्र और राज्य सरकारों ने स्वेच्छा से सेवाओं पर वस्तु एवं सेवा कर में शामिल किया है।

 

भारत में लागू विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को समायोजित कर एकीकृत कर प्रणाली वस्तु एवं सेवा कर को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कर दिया गया है और इसे 10वें संविधान अधिनियम के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

 

 

सामाजिक शोध -

शोधकर्ताओं ने इस विषय पर एक खोजी शोध तकनीकी का प्रयोग किया है, सम्बन्धित पत्रिकाओं से पिछले साहित्य पर आधारित संरचनाओं से वार्षिक रिपोर्ट विस्तृत विवरणों से समाचार, पत्र, पत्रिकाओं से समंको का संकलन किया है।

 

भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है तथा इसके प्रारूप या संरचना को ध्यान में रखते हुए वस्तु एवं सेवा कर के दो घटक होगें।

ऽ          केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर,

ऽ          राज्य वस्तु एवं सेवा कर

 

दोनों केन्द्र और राज्य सरकार एक साथ एक ही मूल्य के वस्तु माल की हर एक आपूर्ति पर कर लगाया गया है वस्तु एवं सेवा कर पर शैक्षणिक साहित्य के अनुसार अध्ययन के उद्देश्य के लिए अनुसंधान डिजाइन का उपयोग किया गया है। वस्तु एवं सेवा कर एक व्याख्यात्मक अनुसंधान होने के कारण यह पत्रिकाओं, लेख, पत्रों में प्रकाशित माध्यमिक आंकड़ो पर आधारित है। अध्ययन विषय को ध्यान में रखते हुए वर्णात्मक प्रकार के अनुसंधान को अपनाया गया है।

 

पूर्व साहित्य की समीक्षा

डाॅ0 कुमार राकेश (वस्तु एवं सेवा कर) ‘‘पुस्तक‘‘ (2017) भारत का वर्तमान कर ढांचा ;ज्ंग ैजतनबजनतमद्ध बहुत ही जटिल है। भारतीय संविधान के अनुसार मुख्य रूप से वस्तुओं की बिक्री पर कर लगाने का अधिकार राज्य सरकार और वस्तुओं के उत्पादन व सेवाओं पर कर लगाने का अधिकार केन्द्र सरकार के पास है। इस कारण देश में अलग-अलग प्रकार के कर लागू हैं, जिससे देश की वर्तमान कर व्यवस्था बहुत ही जटिल है। कम्पनियों और छोटे व्यवसायों के लिये विभिन्न प्रकार के कर कानूनों का पालन करना मुश्किल होता है।भारत में 1 जुलाई 2017 से ळैज् लागू हो गया है। जी.एस.टी. ;ळैज्द्ध भारत के कर ढांचे में सुधार का एक बहुत बड़ा कदम है। वस्तु एवं सेवा कर ;ळववके ंदक ैमतअपबम ज्ंगद्ध एक अप्रत्यक्ष कर कानून है, ;प्दकपतमबज ज्ंगद्ध है। जी.एस.टी. एक एकीृत कर है, जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगेगा। जी.एस.टी. लागू होने से पूरा देश, एकीकृत बाजार में तब्दील हो जायेगा और ज्यादातर अप्रत्यक्ष कर, जैसे-केन्द्रीय उत्पाद शुल्क ;म्गबपेमद्ध सेवा कर ;ैमतअपबम ज्ंगद्ध वैट ;टंजद्ध मनोरंजन, विलासिता, लाटरी टैक्स आदि जी.एस.टी. मेें समाहित हो जायेंगें। इससे पूरे भारत में एक ही प्रकार का प्रत्यक्ष कर लगेगा।

 

डाॅ0 हालाखंडी सुधीर (वस्तु एवं सेवा कर) ‘‘ई-पुस्तक‘‘ (2017)     सरकार अब एक जुलाई 2017 से जी.एस.टी. लागू करने वाली है इसलिये सरल हिन्दी भाषा में आपको जी.एस.टी. की प्रारम्भिक जानकारी व्यापार एवं उद्योग को देने के लिये ई-बुक जी.एस.टी. जारी कर रहे हैं। इसे आप पढ़कर समझने की कोशिश करें कि आने वाले समय में आपको किस प्रकार से जी.एस.टी. कानून का पालन करना है और किस तरह यह आपके उद्योग एवं व्यापार को प्रभावित करेगा।

 

डाॅ0 जायसवाल सूरज (करों की झंडी से मुक्त) ‘‘पुस्तक‘‘ राष्ट्र कर बाजार (2017) जी.एस.टी. क्या है, कर का भुगतान कौन करता है ओर उसका संग्रह कैसे किया जाता है, इस आधार पर करों को दो श्रेणियों में बांटा जाता है। प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर। सामान्य तौर पर आय, लाभ या सम्पत्ति पर वसूले जाने वाले वो प्रत्यक्ष कर के कुछ उदाहरण हैं, आयकर, निगम कर, धन कर और सम्पत्ति कर। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं या सेवाओं के लेनदेन पर वसूले जाते हैं ओर उन्हें या तो विक्रेता या क्रेता द्वारा वहन किया जाता है, हालांकि विक्रेता इन्हें क्रेताओं को हस्तानान्तरित कर ही देते हैं। अप्रत्यक्ष करों के कुछ उदाहरण हैं - विदेशी वस्तुओं के आयात पर सीमा शुल्क, वाणिज्यिक संस्था द्वारा प्रदत्त सेवाओं पर सेवा कर, वस्तुओं की मैन्युफैक्चरिंग पर उत्पाद शुक, वस्तुओं की बिक्र पर पर बिक्री कर इत्यादि। वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) वह अप्रत्यक्ष कर है जो केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा वसूले जाने वाले लगभग सभी अप्रत्यक्ष करों का स्थान ले लेगा।

 

डाॅ0 गुप्ता उपेन्द्र (जी.एस.टी. आरम्भ एक नये युग का) ‘‘पुस्तक‘‘ विकास को समर्पित (2017) जी.एस.टी. के आगाज के साथ संसद में जो गूंज उठी वह विश्व में भारतीय राजनीतिक परिपक्वता और एकजुटता के रूप में प्रतिध्वनित हुई है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये यह किसी सपने के सच होने जैसा था जब अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिये पूरा देश एक अव्यवस्थित और जटिल प्रणाली को बदलकर एक अच्छा और सरल कर व्यवस्था को लाने के लिये एकजुट हुआ इसमें कोई संदेह नहीं है कि जी.एस.टी. भारतीय राजनीतिक वर्ग के लिये सफलता के लिये आयाम और करों की भूलभुलैया और उत्पीड़न से त्रस्त भारतीय अर्थव्यवस्था को मुक्ति दिलाने वाले उद्वारकर्ता के रूप में उभरा है जिनसे व्यापार और उद्योग के माध्यम से आम आदमी अब तक पीड़ित था।

 

अध्ययन का उद्देश्य -

1.         वस्तु एवं सेवा कर के मामले में अन्तर्निहित राय कर अध्ययन करने के लिए व्यापारियों एवं समाज तथा विनिर्माण क्षेत्र का अध्ययन करना।

2.         वस्तु एवं सेवा कर की चुनौतियों का अध्ययन करना तथा वस्तु एवं सेवा कर का परिचय।

3.         वस्तु एवं सेवा कर के कार्यान्वयन एवं सम्भावनाओं का अध्ययन करना।

4.         वस्तु एवं सेवा कर के परिणाम का अध्ययन करना।

5.         वस्तु एवं सेवा कर की सुविधाओं का अध्ययन करना।

6.         वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के फायदे और चुनौतियों का मूल्यांकन करना।

7.         वस्तु एवं सेवा कर पर और अधिक शोध कार्य के लिए जानकारी उपलब्ध कराना।

 

परिकल्पना -

1.         वस्तु एवं सेवा कर से भविष्य में क्या लाभ होगा।

2.         वस्तु एवं सेवा कर लगाने से मुद्रा स्फीति बढ़ेगी या घटेगी।

3.         समस्त प्रकार के कर व्यवस्था को समाप्त करके सिर्फ एक देश एक ही कर व्यवस्था लागू करने के क्या फायदे होगें।

4.         कर संरचना में यह परिवर्तन श्रेष्ठ परिवर्तन के रूप में देखा जा रहा है इससे क्या बदलाव आयेगा।

 

प्रस्तावित मॉडल की मूक विशेषताः

1ण्        देश-सीजीएसटी और एसजीएसटी की संघीय संरचना के अनुरूप।

2ण्        सीजीएसटी और एसजीएसटी केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार के खाते में अलग-अलग भुगतान किया जाना है।

3ण्        सीजीएसटी और एसजीएसटी का अलग से इलाज किया जाना चाहिए, आमतौर पर सीजीएसटी के खिलाफ चुकाए गए करों को सीजीएसटी के लिए इनपुट कर क्रेडिट के रूप में लिया जाना चाहिए और एसजीएसटी के लिए एक ही सिद्धांत लागू होगा।

4ण्        सीजीएसटी का प्रशासन राज्य के साथ केंद्र और एसजीएसटी होगा।

 

जीएसटी बनाम अन्य करों की दर:

प्रस्तुत शोध का औचित्य -

वस्तु एवं सेवा कर की 18 प्रतिशत की भारी गठरी का बोक्ष या तो ग्राहक उठाये या व्यापारी वस्तु एवं सेवा कर को लेकर व्यापारी एवं आम जनता में असंतोष की स्थिति व्याप्त है जहां बहुत सी वस्तुओं पर कर की दर 4 प्रतिशत से 8 प्रतिशत थी उन्हीं वस्तुओं पर 18 प्रतिशत की कर दर आम जनता एवं व्यापारियों के लिए एक बड़े बोझ में समान है।

 

प्रस्तुत शोध का औचित्य इस बात पर प्रकाश डालना है कि क्या छोटे व्यापारियों एवं उपभोक्ता को इससे लाभ होगा या नहीं।

 

छोटे व्यापारियों को कम्प्यूटर आपरेटर तथा उनकी सैलरी इत्यादि की व्यवस्था करनी एक बड़ी जिम्मेदारी होगी साथ ही बाजार साख के आधार पर माल बेचने वाले छोटे व्यापारी वस्तु एवं सेवा कर भरने की निर्धारित समय सारणी पर अमल कर पायेंगे।

 

वस्तु एवं सेवा कर के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण बाते -

ऽ          वस्तु एवं सेवा कर एक अप्रत्यक्ष कर है। जो देश भर में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर विर्निमाता से उपभोक्ता तक एकल कर होगा जिससे पूरा देश एक एकीकृत साक्षा व्यापार में परिवर्तित हो गया है।

ऽ          उत्पादन के प्रत्येक चरण में भुगतान किए गए आगत करो एवं लाभ मूल्य संबंर्धन के बाद के चरण में उपलब्ध होगा इस प्रकार उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर केवल ‘‘वैल्यू एडीशन’’ पर ही यह कर देना होगा।

ऽ          अन्तिम उपभोक्ताओं को इस आपूर्ति श्रृंखला में अंतिम डीलर द्वारा लगाया गया वस्तु एवं सेवा कर ही वहन करना पड़ेगा इस प्रकार विभिन्न स्तरों पर लगने वाले करों पर कर का प्रभाव समाप्त हो गया है।

ऽ          वस्तु सेवा कर के लागू होने से केन्द्रीय करों में से केन्द्रीय उत्पाद शुक्ल सेवा कर एडीशनल कस्टम डयूटी अतिरिक्त कस्टम डियुटी वस्तुओं एवं सेवाओं पर लगने वाले सारे सरचार्ज जहां समाप्त होगें वही राज्यों के करों में वैट मनोरंजन कर केन्द्रीय विक्री कर, चंूगी कर व प्रवेश कर, खरीद कर, बिलासिता कर, लाटरी कर, सट्टे व जुएं पर लगने वाले कर समाप्त होगें।

ऽ          कुछ समय बाद वस्तुओं के मूल्य इससे कम होगें जिसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को होगा, सेवाओं के मूल्यों में कुछ वृद्धि इससे होगी।

ऽ          वस्तुओं व सेवाओं की लागत कर होने से भारतीय निर्यात को इससे बढ़ावा मिलेगा।

ऽ          अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इससे जी.डी.पी. में वृद्धि होगी, नेशनल काउंसिल आफ एप्लाइड इकोनाॅमी रिसर्च (छब्।म्त्) ने इससे जी.डी.पी. में 09 प्रतिशत से 1.7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया था।

ऽ          वस्तु एवं सेवा कर की संरचना दोहरी किस्म की होगी केन्द्र सरकार द्वारा लगाया व वसूला जाने वाला कर तथा राज्य सरकारों द्वारा लगाया व वसूला जाने वाला कर।

ऽ          वस्तु एवं सेवा कर के मामले में विभिन्न निर्णयों के लिये वस्तु एवं सेवा कर परिषद का गठन किया गया है। जिससे केन्द्र व राज्य दोनों का प्रतिनिधित्व होगा।

ऽ          केन्द्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली वस्तु एवं सेवा कर में सभी राज्य सरकारें सदस्य होंगी इस प्रकार यह शक्तिशाली संवैधानिक निकाय होगा।

ऽ          केन्द्र एवं राजय सरकार दोनों को ही वस्तु एवं सेवा कर के सम्बन्ध में कानून बनाने का अधिकार होगा।

ऽ          वैयक्तिक उपभोग वाली वस्तु अर्थात् राशन को वस्तु एवं सेवा कर के दायरे से बाहर रखा गया है।

 

वस्तु एवं सेवा कर भारत के कर ढंाचे में सुधार का एक बहुत बड़ा कदम है, वस्तु एवं सेवा कर एक अप्रत्यक्ष कर कानून है, वस्तु एवं सेवा कर एक एकीकृत कर है। जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगेगा।

 

वस्तु एवं सेवा कर लागू होने से पूरा देश एकीकृत बाजार में तब्दील हो गया है और ज्यादातर अप्रत्यक्ष कर जैसे केन्द्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट इत्यादि इसी में समाहित हो जायेगे। इससे पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा।

 

18 फीसदी वस्तुओं की कीमतों पर 18 फीसदी तक कर लगेगा रोजमर्रा की उपयोगी वस्तुएं जैसे कोशतेल, साबुन, टूथपेस्ट, गेहूँ, चावल, मिठाई, चीनी, खाद्यतेल वगैरह सस्ते हो जायेगें।

 

समस्या एवं सुझाव -

ऽ          इतने कड़े कानून के चलते व्यापारियों को भारी नुकशान की आशंका बनी हुई है।

ऽ          इसके प्रत्यक्ष लाभों से कोई अवगत नहीं है।

ऽ          इसका भविष्य क्या है, यह भी अभी चर्चा की विषय बना हुआ है।

ऽ          वस्तु एवं सेवा कर कर के आधार को और विस्तृत करेगा तथा करों के अनुपात में आवश्यक सुधार करेगा और राज्यों के बीच जो प्रतिस्पर्धा बनी है उसे समाप्त कर देगा।

ऽ          यह सभी राज्यों में समान रूप से कर के बीच को पुनर्वितरित करेगा।

ऽ          यह सभी राज्यों में कर प्रणाली में एक रूपता निश्चित् करेगा।

ऽ          यह आर्थिक लेन-देन में सुधार करेगा।

ऽ          इससे पारदर्शिता भी बढ़ेगी और दोहरे कराधात समाप्त होगें।

ऽ          करदाताओं को शिक्षा एवं जनसंचार के माध्यम से जागरूक करने की आवश्यकता है।

ऽ          वस्तु एवं सेवा कर पर विभिन्न कार्य शालाएं, प्रशिक्षण और सेमीनार द्वारा जागरूकता लाया जा सकता है।

 

निष्कर्ष -

जीएसटी भारतीय कराधान में सुधार है। हम कह सकते हैं कि जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद, उपभोक्ता और व्यवसायों पर कर का बोझ कम हो गया और इस मॉडल के तहत अतिरिक्त करों की संख्या शामिल की गई है। जीएसटी कराधान में पारदर्शिता में सुधार करने और निवेशकों और सरकारी नीतियों के कार्यान्वयन के लिए एक स्वस्थ वातावरण बनाने में मदद करता है। सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि देश में पहलुओं की संख्या के आधार पर है, लेकिन कराधान मुख्य भाग है क्योंकि यह देश के लिए राजस्व मॉडल के रूप में काम करता है और हर देश के लिए आवश्यक है। राष्ट्र के विकास और दोहरे कर के बोझ से बचने के लिए कर प्रणाली को अद्यतन करने की जरूरत है, जीएसटी एक मजबूत भूमिका निभाता है। कार्यान्वयन से पहले जीएसटी सरकार को व्यवसाय और ग्राहकों के दृष्टिकोण के साथ देश अर्थव्यवस्था विकास से संबंधित सभी पहलुओं का अध्ययन करने की आवश्यकता है। भारत के इतिहास में कर संरचना में ये पहला बदलाव नहीं है इससे बहुत सी वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतें गिरेगी। हांलाकि इससे मुद्रा स्फीति बढ़ेगी और मौद्रिक परिवर्तन होगा लेकिन बहरहाल कर संरचना में यह परिवर्तन एक श्रेष्ठ परिवर्तन है।

 

भारतीय कर क्षेत्र में इसे बहुत बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। हालाकि अन्य विकासशील देशों में वस्तु एवं सेवा कर लागू करने से जीडीपी में भारी गिरावट आई है। देखना यह है कि आने वाले समय में भारत में इसके क्या परिणाम होते है। चूंकि राजस्व प्राप्तियों में सर्वाधिक योगदान करो का ही होता है। समस्त प्रकार की कर व्यवस्था को समाप्त करके सिर्फ एक देश एक ही कर व्यवस्था लागू करने से क्या फायदें है यह आने वाले समय में ही पता चलेगा।

 

संदर्भ ग्रंथ सूची:-

1.         मेहरोत्रा, डाॅ. एच.सी., अग्रवाल, प्रो. बी.पी. 2018, माल और सेवाकर, साहित्य भवन पब्लिकेशन, आगरा।

2.         सकलेचा, प्रो. श्रीपाल, सकलेचा, अमित, 2018-19, माल एवं सेवाकर, उच्चतर अध्ययन, सतीश प्रिन्टर्स एण्ड पब्लिशर्स, इंदौर।

3.         डाॅ0 कुमार राकेश, 2017, डायमंड मार्गदर्शिका, डायमंड पार्केट बुक्स प्रा0 लि0 नई दिल्ली

4.         डाॅ0 हालाखंडी सुधीर, 2017, जी.एस.टी. ई-बुक, सी.ए. सुधीर हालाखंडी, राजस्थान

5.         डाॅ0 जायसवाल सूरज, 2017, राष्ट्र कर बाजार, विकास की समर्पित मासिक पत्रिका अगस्त 2017

6.         डाॅ0 गुप्ता उपेन्द्र, 2017, विकास को समर्पित, विकास की समर्पित मासिक पत्रिका अगस्त 2017

7.         साह जे.पी., नवम्बर 2016 ीजजचेरूध्ध्ूूूण्वउपबेवदसपदमण्बवउ

8.         कुमार पंकज तेजपुर विश्व विद्यालय असाम चनइसपेीपदहण्बवउण्पद

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12.        ूूूण्हेजपदकपंण्बवउध्ंइवनजध्

13.        ूूूण्पिदउपदण्दपबण्पदध्चतमेेऋतववउध्2016ध्ळैज्ऋथ्।फण्चक

 

 

 

 

Received on 02.06.2019            Modified on 13.06.2019

Accepted on 23.06.2019            © A&V Publications All right reserved

Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2):517-524.